हजारों वर्गफीट में खुले बिजली तारों का जंजाल, बड़ी-बड़ी डीपी। वहीं आपस में जुड़े ट्रांसफॉर्मर। पास में जाने में ही खतरे का अहसास। बिजली सब स्टेशन का ख्याल आते ही आमतौर पर यह दृश्य बन जाता है, लेकिन बदलती तकनीक के दौर में अब बिजली सब स्टेशन बदल गए हैं। इतने छोटे कि एक कमरे में समा जाए। ऐसे ही बिजली सब स्टेशन बनने का काम इसी महीने शुरू हो रहा है। नए गैस इंसुलेटेंट सब स्टेशन (जीआईएस) के रूप में बिजली सप्लाय के नए दौर की शुरुआत हो रही है। 13 करोड़ रुपए में तीन नए बिजली सब स्टेशन आकार लेंगे। इन्हें इसी साल शुरू किया जाना है। ये सब स्टेशन वोल्टेज पर्याप्त देने के अलावा शहर की बिजली व्यवस्था को और गुणवत्ता देंगे।
इससे एक बड़ा फायदा यह होगा कि इस स्टेशन के बनने के बाद ग्रिड से होने वाले फाॅल्ट नहीं होंगे। इस सब स्टेशन से 11 और 33 केवी लाइन पर सप्लाय बराबर होती है। कम-ज्यादा वाेल्टेज की समस्या नहीं होती। बिजली कंपनी के अधीक्षण यंत्री (शहर) अशोक शर्मा ने बताया कि पहला सब स्टेशन मालवा मिल चौराहे पर बना था। इसके बाद तीन नए सब स्टेशन और बनाने की योजना बनाई। पश्चिम शहर संभाग के तहत सदर बाजार थाने के सामने की जमीन सब स्टेशन के लिए तय की गई है। इसी तरह राऊ और धार रोड स्थित ग्रीन पार्क काॅलोनी में जमीन 10 दिन में मिल जाएगी।
ऊर्जा मंत्री प्रियव्रतसिंह ने तीनों सब स्टेशन जल्दी बनाए जाने के निर्देश दिए हैं। तीनों सब स्टेशन की क्षमता आठ-आठ मेगावाट की होगी। इस तरह इनसे हजारों उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण बिजली मिलेगी। सभी सब स्टेशन कम जगह में लगाए जाएंगे, लेकिन इनकी क्षमता ज्यादा बिजली प्रदान करने की होगी। एक माह में इन तीनों सब स्टेशन का काम शुरू कर दिया जाएगा।